गर्भावस्था के शुरूआती दिनों से ही महिलाओं को कई तरह की समस्याओं से जूझना पड़ता है। प्रेग्नेंसी को तीन तिमाही में बांटा जाता है। इन तीन तिमाही के दौरान महिलाओं को अलग-अलग लक्षण महसूस होते हैं। इस दौरान महिलाओं के शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं, जो समस्याओं का कारण माने जाते हैं। वहीं प्रेग्नेंसी के समय होने वाले बदलावों जैसे मोटापा और वजन बढ़ने आदि से महिलाओं को उठने-चलने में परेशानी होने लगती है।
प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को स्त्रीरोग संबंधी संक्रमण होने का खतरा भी बढ़ जाता है। यह न सिर्फ महिलाओं बल्कि उनके गर्भ में पलने वाले बच्चे की सेहत पर भी बुरा असर डाल सकता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए आपको बताने जा रहे हैं कि प्रेग्नेंसी में गाइनाक्लॉजिस्ट इंफेक्शन के क्या कारण होते हैं और इससे किस तरह से बचाव किया जाना चाहिए।
इसे भी पढ़ें: Yoga Tips: दिनभर नहीं लगती है भूख तो रोजाना इन योगासन का करें अभ्यास, लगने लगेगी भूख
गर्भावस्था में स्त्रीरोग संबंधी संक्रमणों के कारण
बैक्टीरियल वेजिनोसिस
बैक्टीरियल वेजिनोसिस इंफेक्शन तब होता है, जब योनि में सामान्य रूप से पाई जाने वाली बैक्टीरिया में असंतुलन पाया जाता है। प्रेग्नेंसी के दौरान हार्मोनल बदलाव और इम्यून सिस्टम में कमजोरी होने की वजह से महिलाएं वेजिनोसिस के प्रति ज्यादा संवेदनशील हो जाती हैं। यह इंफेक्शन समय से पहले यानी की प्रीटर्म डिलीवरी और गर्भाशय के अंदर संक्रमण का कारण बन सकता है।
फंगल इंफेक्शन
प्रेग्नेंसी के समय हार्मोनल बदलाव और शुगर के स्तर में वृद्धि होती है। जिसके कारण योनि में यीस्ट की अत्यधिक वृद्धि हो सकती है। इससे भी प्रेग्नेंट महिलाओं को फंगल इंफेक्शन का खतरा हो सकता है। यह इंफेक्शन जलन, खुजली और सफेद रंग का गाढ़ा स्त्राव पैदा कर सकता है। वहीं अगर इसका समय पर इलाज नहीं किया जाए, तो यह गर्भाशय और गर्भ में पलने वाले शिशु दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन
बता दें कि गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय बढ़ता है, जिसका दबाव ब्लैडर पर पड़ता है। जिसकी वजह से यूरिनरी ट्रैक्ट में इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। वहीं UTI गर्भाशय के कॉन्ट्रैक्शन को बढ़ा सकता है, जोकि समय से पहले डिलीवरी का कारण बन सकता है। वहीं यह संक्रमण किडनी तक भी फैल सकता है। जो न सिर्फ मां बल्कि बच्चे के स्वास्थ्य के लिए समस्याएं पैदा कर सकता है।
अन्य संक्रमण का खतरा
सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन्स
ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकोकस
बचाव
प्रेग्नेंसी के दौरान संक्रमण से बचने के लिए महिलाओं को योनि की साफ-सफाई पर बहुत ध्यान देना चाहिए। इसके लिए आप पानी और माइल्ड साबुन का भी इस्तेमाल कर सकती हैं।
प्रेग्नेंसी में संतुलित और पौष्टिक आहार लेना चाहिए। क्योंकि इससे आपका इम्यून सिस्टम मजबूत होता है और इंफेक्शन से बचाव होता है।
प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन्स से बचाव के लिए फिजिकल इंटिमेसी में सावधानी बरतनी चाहिए।
इस दौरान पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से भी आप सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन्स का खतरा कम होता है।