23 November 2024
बिज़नेस

दूसरी तिमाही में सुस्ती पीछे छूटी, निजी खपत से घरेलू मांग को मिल रही गति: RBI बुलेटिन


मुंबई । देश में दूसरी तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती अब बीते दिनों की बात है। त्योहारों के दौरान खर्च से निजी खपत मांग को गति दे रही है और मध्यम अवधि का परिदृश्य मजबूत बना हुआ है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को जारी अपने बुलेटिन में यह कहा है। नवंबर माह के बुलेटिन में प्रकाशित ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ पर एक लेख में यह भी कहा गया है कि चुनौतियों और बढ़ते संरक्षणवाद के बीच 2024 की चौथी तिमाही के दौरान वैश्विक आर्थिक गतिविधियां मजबूत बनी हुई हैं।
इसमें कहा गया, ‘‘देश में, 2024-25 की दूसरी तिमाही में जो कुछ सुस्ती देखी गयी थी, वह अब पीछे छूट गई है। इसका कारण यह है कि निजी खपत घरेलू मांग को गति दे रही है और त्योहारों के दौरान खर्च ने तीसरी तिमाही में वास्तविक गतिविधियों को बढ़ाया है। लेख में कहा गया, ‘‘मध्यम अवधि का दृष्टिकोण तेजी का बना हुआ है क्योंकि वृहद आर्थिक बुनियाद की स्वाभाविक ताकत खुद को फिर से स्थापित कर रही है।’’ आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा के नेतृत्व वाली टीम के लिखे इस लेख में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती दिखा रही है।
इसका कारण त्योहार से जुड़ी खपत और कृषि क्षेत्र में सुधार है। खरीफ फसल के रिकॉर्ड उत्पादन अनुमान के साथ-साथ रबी फसल को लेकर बेहतर संभावनाएं आने वाले समय में कृषि आय और ग्रामीण मांग के लिए अच्छा संकेत हैं। लेख में कहा गया, ‘‘औद्योगिक मोर्चे पर, विनिर्माण और निर्माण में गतिशीलता बरकरार रहने की उम्मीद है। ईवी (इलेक्ट्रिक वाहन) अपनाने, अनुकूल नीतियां, सब्सिडी और बढ़ता बुनियादी ढांचा भारत को टिकाऊ परिवहन के क्षेत्र में अग्रणी बना रहा है। साथ ही उभरते स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्रों में रोजगार सृजन को बढ़ावा दे रहा है।’’
लेखकों के अनुसार, भारत के सेवा क्षेत्र में विकास की गति के साथ मजबूत रोजगार सृजन और उच्च उपभोक्ता और कारोबारी भरोसा बने रखने की उम्मीद है। इसमें कहा गया है कि वैश्विक अनिश्चितता और उतार-चढ़ाव वाले विदेशी पोर्टफोलियो निवेश से बॉन्ड और शेयर बाजारों पर दबाव के बावजूद, वित्तीय स्थितियां अनुकूल रहने की संभावना है। कंपनियों के बॉन्ड जारी करने और एफडीआई प्रवाह से यह पता चलता है। लेखकों ने यह भी कहा कि निजी निवेश कमजोर बना हुआ है। कॉरपोरेट आय में कमी के कारण जुलाई-सितंबर, 2024 के दौरान तिमाही आधार पर कम निवेश से यह पता चलता है। आरबीआई ने साफ कहा है कि बुलेटिन में प्रकाशित लेख में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और उससे केंद्रीय बैंक का कोई लेना-देना नहीं है।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *