23 November 2024
व्रत त्यौहार

Bhairav Ashtami 2024: भैरव अष्टमी पर ऐंद्र योग का संयोग, पूजन से होगी उच्चपद की प्राप्ति


अगहन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भगवान काल भैरव का प्राकट्य उत्सव मनाया जाता है। इस बार भैरव अष्टमी पर ऐंद्र योग आया है, मान्यता है कि इस योग में भगवान भैरव का पूजन उच्च पद दिलवाता है। उज्जैन में अष्ट भैरव मंदिरों में इस दिन होगा विशेष पूजन।

By Prashant Pandey

Publish Date: Wed, 20 Nov 2024 10:02:45 AM (IST)

Updated Date: Wed, 20 Nov 2024 10:36:09 AM (IST)

Bhairav Ashtami 2024: भैरव अष्टमी पर ऐंद्र योग का संयोग, पूजन से होगी उच्चपद की प्राप्ति
उज्जैन में भगवान काल भैरव और आताल पाताल भैरव।

HighLights

  1. उज्जैन में विराजित अष्ट महाभैरव का पूजन महाफलदायी रहेगा।
  2. शनिवार का दिन भी भैरव साधना के लिए उपयुक्त माना जाता है।
  3. सामान्य भक्त चार प्रहर में भगवान की पूजा अर्चना कर सकते हैं।

नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन(Kaal Bhairav Ashtami 2024)। अगहन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर 23 नवंबर को भैरव अष्टमी मनाई जाएगी। इस बार भैरव अष्टमी ऐंद्र योग के महासंयोग में आ रही है। इस योग में भगवान भैरव का पूजन उच्चपद प्रदान करने वाला माना गया है।

इस दृष्टि से इस योग में उज्जैन में विराजित अष्ट महाभैरव का पूजन महाफलदायी रहेगा। ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया पौराणिक मान्यता तथा एवं भैरव तंत्र के ग्रंथों में मार्गशीर्ष (अगहन) मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मध्य रात्रि में भगवान महाभैरव के प्राकट्य की मान्यता है।

इस बार भैरव अष्टमी 23 नवंबर शनिवार के दिन ऐंद्र योग में आ रही है शनिवार का दिन भी भैरव की साधना के लिए उपयुक्त माना जाता है। ऐंद्र योग में विशिष्ट साधना उच्च पद दिलवाती है इस दृष्टि से अष्ट भैरव का पूजन करना चाहिए।

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चारों प्रहर की पूजा विशिष्ट फल प्रदान करेगी

साधना तंत्र व भैरव तंत्र में जो मूल उपासक या साधक होते हैं, वह भैरव की अलग-अलग प्रकार से साधना उपासना करते हैं। इसमें वैदिक व तामसी दोनों ही प्रकार की पूजन का उल्लेख है। भैरव मूल रूप से तमोगुण के अधिष्ठात्र हैं, अर्थात तमोगुण का आधिपत्य भैरव के पास है।

यह शिव के अंश है इस दृष्टि से भैरव की रात्रि काल में की गई साधना विशेष फल प्रदान करती है लेकिन सामान्य भक्त चार प्रहर में भगवान की पूजा अर्चना कर सकते हैं। महाभैरव भक्त की सरल हृदय से की गई प्रार्थना को स्वीकार करते हुए, मनोकामना पूर्ण करते हैं।

स्कंद पुराण में अष्ट भैरव यात्रा का उल्लेख

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स्कंद पुराण के अवंती खंड में अष्ट महाभैरव की यात्रा का उल्लेख प्राप्त होता है। पौराणिक मान्यता में भैरव के अलग-अलग प्रकार के नाम का प्राचीन उल्लेख बताया जाता है।

पौराणिक मान्यता में भैरव से संबंधित कथाओं का उल्लेख मिलता है, लेकिन वर्तमान में अष्ट महाभैरव में कालभैरव, विक्रांत भैरव, आनंद भैरव, बटुक भैरव, दंडपाणि भैरव, आताल पाताल भैरव आदि का उल्लेख है।

बालरूप में विराजित हैं आताल पातल भैरव

पौराणिक मान्यता के अनुसार अष्ट महाभैरव में बाल स्वरूप में जिन भैरव की कथा मिलती है, वह सिंहपुरी स्थित आताल पाताल भैरव के रूप में स्थापित हैं। यहां पर अलग-अलग मान्यताओं के चलते नवनाथों का भी आगमन संबंधित कथाओं में प्राप्त होता है।

आगम ग्रंथ में इसका उल्लेख कहीं-कहीं प्राप्त होता है। आताल पाताल भैरव इसलिए भी विशेष है क्योंकि यहां पर विश्व की सबसे बड़ी गाय के गोबर से बने कंडों की होली बनाई जाती है।



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