23 November 2024
व्रत त्यौहार

अगहन का पहले गुरुवार पर मां लक्ष्मी पूजा, यह काम करना है वर्जित


अगहन मास के पहले गुरुवार को शहर में भक्ति और परंपरा की झलक देखने को मिली। घर-घर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना के लिए तैयारियां बुधवार शाम से पूरी कर ली गई थी। बुधवार शाम से ही महिलाओं ने घरों के आंगन और दरवाजों पर चावल के घोल से चौक सजाया और रंगोली बनाई।

By Dhirendra Kumar Sinha

Publish Date: Thu, 21 Nov 2024 08:30:48 AM (IST)

Updated Date: Thu, 21 Nov 2024 10:17:49 AM (IST)

अगहन का पहले गुरुवार पर मां लक्ष्मी पूजा, यह काम करना है वर्जित
घर आंगन सजे चौक बना मां लक्ष्मी की विधिवत हो रही।

HighLights

  1. अगहन मास के हर गुरुवार का विशेष महत्व है।
  2. गुरुवार सूर्योदय से पूर्व उठ माताएं करती है पूजा।
  3. अगहन में गुरुवार लक्ष्मीनारायण की पूजा होती है।

नईदुनिया प्रतिनिधि बिलासपुर। हिंदू मान्यता के अनुसार अगहन मास के गुरुवार को लक्ष्मी और विष्णु की पूजा करने से घर में समृद्धि और खुशहाली आती है। ज्योतिषाचार्य पंडित देव कुमार पाठक के अनुसार सुबह शुभ मुहूर्त में महिलाएं हल्दी और आंवले का उबटन लगाकर स्नान करेंगी और पूजा-अर्चना में भाग लेंगी। इस दौरान घर-आंगन को सुंदर चौक, दीपों और पुष्पों से सजाया जाता है।

लक्ष्मी और विष्णु की मूर्तियों की स्थापना कर विशेष धूप, दीप, और आंवला पत्तों के साथ पूजा की जाएगी। पूजा के बाद खीर, पूड़ी, और अन्य पारंपरिक व्यंजन भोग के रूप में अर्पित किए जाएंगे।

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फल फूल व दुबी की अत्यधिक महत्त्व

इस पूजा की खास बात

अगहन मास के हर गुरुवार पूजा जो भोग लगाया जाता उस प्रसाद को घर के बाहर नहीं बांटा जाता, क्योंकि मान्यता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं। पूजा के बाद परिवार के सदस्य एक साथ प्रसाद ग्रहण करेंगे। ग्रामीण अंचल में विशेष रूप से नए चावल से बने पकवान, जैसे फरा और पूड़ी, भोग में शामिल होंगे। वहीं शहर के लोग खीर-पूड़ी और अन्य मिठाइयों का भोग लगाएंगे।

पूरे महीने चलेगा पूजा उत्सव

अगहन मास के हर गुरुवार को यह पूजा अलग-अलग प्रकार के पकवानों और विधियों के साथ की जाती है। पहला गुरुवार खास महत्व रखता है, क्योंकि इसे नए फसल के उपयोग की शुरुआत के रूप में भी देखा जाता है। यह परंपरा परिवार और समाज के बीच जुड़ाव और समृद्धि का संदेश देती है।

अगहन माह महालक्ष्मी का माना गया है

आज गुरुवार 21 नवंबर 2024 का पहला को अगहन गुरुवार को पर्व मनाया जा रहा है। जिसमें शास्त्रगत मान्यताओं के आधार पर अगहन गुरुवार में व्रत रखने का विधान है। इस दिन स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प महिलाओं द्वारा किया जाता है। इसके अलावा शाम को चंद्रमा के उदित होने के उपरांत पुष्प, नैवेध, धूम, दीप प्रज्वलित कर भगवान गणेश की पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यतानुसार अगहन माह महालक्ष्मी का महीना माना गया है। इस माह के गुरुवार को धन देवी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से सुख-शांति व समृद्धि मिलती है।

देवी के पग चिन्ह बनाकर स्वागत

घर व द्वार को रंगोली से सजाकर मां पूजा स्थल तक देवी के पग चिन्ह बनाकर गुरुवार को भोर में उनका आह्वान करती हैं। सुबह, दोपहर और शाम तीनों समय उन्हें भोग अर्पित करते हुए पूजा-अर्चना की जाती है। चावल आटें से सजाएंगे घर का द्वारगुरुवार को अल सुबह मां की पूजा-अर्चना शुरू हो जाएगी। महिलाओं ने घर-द्वार सजाने के साथ ही पूजा की तैयारी मंगलवार से ही शुरू कर दी है।

बुधवार को श्रद्धालु घर के द्वार से लेकर पूजा स्थल तक चावल आटे के घोल से मां लक्ष्मी के पद चिन्ह बनाएंगे। साथ ही आंगन में रंगोली बनाएंगे। गुरुवार की सुबह सूर्य निकलने से पहले गृह लक्ष्मियां स्नान-ध्यान कर मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करेंगी। यही क्रम दोपहर व शाम को भी चलेगा। इस बीच मां को तीनों टाइम अलग-अलग भोग अर्पित किया जाएगा।

मां लक्ष्मी पृथ्वी लोक पर करती है विचरण

अगहन गुरुवार की मान्यता ज्योतिष के अनुसार इस माह को लेकर यह मान्यता है कि अगहन गुरुवार में मां लक्ष्मी पृथ्वी लोक का विचरण करने आती हैं। इस अवसर पर जो श्रद्धालु घर-द्वार की विशेष साज-सज्जा के साथ मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा-अर्चना करता है। उस के घर सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इन मान्यता को लेकर लोग आदि काल से मानते आ रहे है।

अगहन को लेकर बाजार में रही रौनक

अगहन पूजा को लेकर हर वर्ग द्वारा किया जाता है। इस पूजा में फल फूल व दुबी की अत्यधिक महत्त्व रहती है। इस मद्देनजर शहर के अधिकांश चौक चौराहे में इस पूजा से जुड़ी सामान लेकर ग्रामीण आये थे। इससे समूचा बाजार में लोगो की चहलकदमी देखते ही बन रही थी।

ये कार्य न करें

  • इस दिन कपड़े धोना, साबुन लगाना वर्जित माना जाता है।
  • इस दिन खिचड़ी खाने को भी नहीं खाना चाहिए।
  • गुरुवार को ऊपर से नमक डालकर नहीं खाना चाहिए।
  • दक्षिण, पूर्व, नैऋत्य में यात्रा करना करने से बचे।



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